Thursday, December 30, 2010

चंबा न्यूज़ --- हिमाचल का क्रन्तिकारी साप्ताहिक: चम्बा के नगर परिषद चुनावो में कोई प्रत्याशी नही चा...

चंबा न्यूज़ --- हिमाचल का क्रन्तिकारी साप्ताहिक: चम्बा के नगर परिषद चुनावो में कोई प्रत्याशी नही चा...: "चम्बा नगर परिषद के चुनाव ३ जनवरी को होने जा रहे है ओर चम्बा नगर परिषद अध्यक्ष के लिए ४ महिलाए तथा उपाध्यक्ष के लिए ७ प्रत्याशी चुनाव मेदान म..."

Tuesday, December 28, 2010

दिन चढ़ते ही मतदाताओ की लगी लंबी कतारे|

आज पंचायतो के पहले चरण का मतदान सुबह ७ बजे से आरंभ हो गया लेकिन मौसम में भारी सर्दी   के चलते सुबह तो मतदाताओ ने घरो में ही बने रहना ठीक समझा लेकिन जैसे जैसे धूप चड़ती जा रही है वैसे ही चम्बा के आस पास की जिन पंचयतो में चुनाव हो रहा है लोग भारी उत्सास के साथ लंबी लंबी कतारो में अपने मत का पर्योग करने के लिए आने लगे है इस बार के पंचयती राज चुनाव में बहुत से युवा उमीदवार जहाँ पहली बार अपनी किस्मत आज़माने के लिए चुनाव मैदान में है वहीं उनका मुकाबला पंचायत के पुराने धुरन्दारो से भी है लेकिन मतदाता किसको अपनी पंचयत का प्रतिनिधितव देते है यह तो शाम को चुनाव के परिणाम आने पर ही साबित होगा |

Sunday, December 26, 2010

चम्बा के नगर परिषद चुनावो में कोई प्रत्याशी नही चाहता चम्बा की एक हज़ार साल पुरानी संस्कृति को बचना

चम्बा नगर परिषद के चुनाव ३ जनवरी को होने जा रहे है ओर चम्बा नगर परिषद अध्यक्ष के लिए ४ महिलाए तथा उपाध्यक्ष के लिए ७ प्रत्याशी चुनाव मेदान में है लेकिन देखने योग्य बात यह है की किसी भी प्रत्याशी ने चम्बा जैसे इतिहासिक शहर को बचाने के बारे में कोई बात तक नही की है चम्बा शहर ने वर्ष २००६ में ही अपनी सथापना के १००० वर्ष पूरे किए है सभी प्रत्याशी बड़े बड़े वायदे कर रहे है लेकिन चम्बा शहर की पहचान , संस्कृति तथा धरोहरो को बचाने के लिए किसी भी प्रत्याशी की ओर से कोई बात नही कही गयी है  सभी प्रत्याशी शायद चुनाव जीतने की होड़ में इस ओर ध्यान देना ही भूल गये है की हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है

कुर्सी झटकना बना सबके लिए॒ प्रतिष्ठा का सवाल

कुर्सी झटकना बना सबके लिए॒ प्रतिष्ठा का सवाल 
कुर्सी एक और चार तलबगार। इस बार नगर परिषद चंबा॒ के अध्यक्ष पद को हासिल करना दावेदारों के लिए॒ आसान नहीं है। हालांकि चुनाव में दो नये चेहरे हैं तो दो कुछ हद तक मंझे हुए॒खिलाड़ी की तरह हैं। फिलहाल नप अध्यक्ष की कुर्सी झटकना इन सबके लिए॒प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। एक तरफ राजनीतिक पृष्ठभूमि के धुरंधर माने जाने ढल्ल॒परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है तो दूसरी ओर कांग्रेस की ओर टिकट नहीं मिलने से बागी हुई अनीता ठाकुर की भी साख का सवाल है। नप का अध्यक्ष पद झटकने के लिए॒ भाजपा समर्थित उम्मीदवार॒किरण बिज॒ को भी तो खुद को साबित करने की चुनौती है। जैसे जैसे चुनावो की तारीख नज़दीक आने लगी है। चम्बा की राजनीति में भी हलचल बढ़ती नज़र आ रही है। सभी प्रत्याशियो ने अपनी पूरी ताक़त चुनाव में लगा दी है। शहर में हर तरफ पोस्टर ओर बॅनर ही नज़र आने लगे है। लेकिन जनता का क्या फ़ैसला है वो तो ३ जनवरी को ही पता चल पाएगा।

Tuesday, October 12, 2010

नग्न तस्वीर खिंचा चुका है विजेंदर को हराने वाला

यह कैसा स्टार ना कोई शर्म ना कोई हया है पर रेफरी की मेहरबानी से बन बैठा मुक्केबाज है भारत के स्टार मुक्केबाज विजेंदर सिंह का स्वर्ण पदक जीतने का सपना तोड़ने वाले इंग्लैंड के मुक्केबाज एंथोनी ओगोगो एक समय में समलैंगिक पुरूषों की मैगजीन के मॉडल रहे हैं और ब्रिटेन के रियल्टी टीवी शो बिग ब्रदर्स में भी हिस्सा ले चुके हैं। मिडिल वेट वर्ग के सेमीफाइनल में विजेंदर को 4-3 से हराने वाले ओगोगो समलैंगिक पुरूषों की ब्रिटेन की सबसे ज्यादा बिकने वाली मैगजीन ‘एटीट्यूड’ में नग्न तस्वीर खिंचवा चुके हैं। बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले विजेंदर के खिलाफ मुकाबला जीतने के बाद ओगोगो ने कहा कि मैंने उसे हरा दिया-मुझे विश्वास नहीं हो रहा है, मैं बहुत खुश हूं।

 बीजिंग ओलंपिक कांस्य पदकधारी और दुनिया के नंबर वन मुक्केबाज विजेंदर सिंह (75 किग्रा) को कल यहां राष्ट्रमंडल खेलों के सेमीफाइनल में रैफरी के फैसले से उलटफेर का सामना कर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। विजेंदर सेमीफाइनल में मिली दो चेतावनियों के बाद ओगोगो से हारकर बाहर हो गए और भारतीय टीम ने रैफरिंग के खिलाफ विरोध भी दर्ज कराया था लेकिन इसे नामंजूर कर दिया गया था।

Friday, September 24, 2010

नोकिया कम्युनिकेटर का नया अवतार ई-7 पेश

फोन बाजार में अपने डगमगाते साम्राज्य के बीच फिनलैंड की मोबाइल कंपनी नोकिया ने मंगलवार को अपने कम्युनिकेटर फोन का नया मॉडल पेश किया है। इसे ई-7 का नाम दिया गया है। उल्लेखनीय है कि कंपनी का कम्युनिकेटर फोन आज भी कारोबारियों के बीच काफी लोकप्रिय है।

यह फोन हॉलीवुड और बॉलीवुड में भी खासा लोकप्रिय है और कई फिल्मों में दिखाई दिया है। यह फोन मधुर भंडारकर द्वारा निर्देशित एवं बिपाशा बसु अभिनीत बॉलीवुड फिल्म कॉरपोरेट में दिखाई दिया, जबकि हॉलीवुड की फिल्म ‘द संत’ में सिमोन टेम्पलर भी नोकिया 9000 का इस्तेमाल करते दिखाई देते हैं। नोकिया 9000 इसकी कम्युनिकेटर शृंखला का पहला फोन था, जिसे 1996 में पेश किया गया था।

Thursday, September 23, 2010

अयोध्या विवाद पर फैसला टला.........................


सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मुकदमे का फैसला टालने का आदेश दिया है। उच्चतम न्यायालय के इस आदेश से यह साफ हो गया है कि अयोध्या में विवादित स्थल के मालिकाना हक का फैसला अब 24 सितंबर को नहीं होगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 28 सितंबर तय की है। उच्चतम न्यायालय ने रमेशचंद्र त्रिपाठी की याचिका पर सभी संबद्ध पक्षों को नोटिस भी जारी किया। त्रिपाठी ने अपनी याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ खंडपीठ के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें स्वामित्व विवाद पर फैसला टालने से रोक लगाने से इंकार कर दिया गया था। न्यायालय अगले मंगलवार को फैसले को टालने के त्रिपाठी के आग्रह पर सुनवाई करेगा।

फैसले पर एक सप्ताह के लिए रोक
न्यायमूर्ति आर वी रवीन्द्रन और न्यायमूर्ति एच एल गोखले की पीठ में उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए दायर याचिका पर सुनवाई के बारे में परस्पर विरोधी राय होने के चलते उन्होंने फैसले पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी। न्यायमूर्ति रवीन्द्रन का मानना था कि विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए, जबकि न्यायमूर्ति गोखले का कहना था कि समाधान के विकल्प की तलाश करने के लिए संबद्ध पक्षों को नोटिस जारी किया जाना चाहिए। लेकिन फिर न्यायमूर्ति रवीन्द्रन ने न्यायमूर्ति गोखले की राय को मानने पर सहमति दे दी। अपने आदेश में न्यायमूर्ति रवीन्द्रन ने कहा कि परंपरा यही है कि जब किसी एक न्यायाधीश की राय अलग हो तो नोटिस जारी किया जाए।

कांग्रेस-भाजपा ने फैसले का स्वागत किया
अदालत के इस निर्देश से यह माना जा रहा है कि दोनों पक्षों को आपसी बातचीत से मामले को सुलझाने के लिए एक और मौका मिला है। अदालत के इस आदेश का भाजपा नेता विटय कटियार ने स्वागत किया है। वहीं, कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी का कहना है कि अदालत के इस रुख से आपसी बातचीत से विवादित मुद्दे को सुलझाने का एक और मौका मिला है।

पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए कहा
इससे पहले सर्वोच्च अदालत की एक पीठ ने बुधवार को इस मुद्दे पर सुनवाई करने से इसलिए इनकार कर दिया कि जल्द सुनवाई के लिए जारी की जाने वाली सूची में वह मामला शामिल नहीं था। बृहस्पतिवार को मामला सूची में शामिल होने के बाद अदालत इस मुद्दे पर सुनवाई कर सकती है। न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने रमेश चंद्र त्रिपाठी की ओर से दायर याचिका पर कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह पीठ इस मामले पर अतिशीघ्र मौखिक सुनवाई कर सकती है। हालांकि पीठ ने अदालत की रजिस्ट्री को सामान्य प्रक्रिया के तहत मामले को किसी भी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए कहा है।

पीठ नहीं ले सकती सुनवाई करने का फैसला
पीठ के समक्ष वकील सुनील जैन ने कहा कि इस मामले पर तत्काल विचार करने की जरूरत है। इसके बाद पीठ ने इस पर दोपहर दो बजे सुनवाई करने का निर्देश दिया। दोपहर में अतिशीघ्र सुनवाई में पीठ ने कहा कि यह मामला दीवानी मुकदमे का है, इस पर सुनवाई करने का निर्णय यह पीठ नहीं कर सकती। पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति कबीर ने कहा कि इस मुद्दे पर सुनवाई करने का फैसला यह पीठ नहीं ले सकती। इसलिए रजिस्ट्री तय करेगी कि यह मामला किस पीठ के समक्ष जाएगा जो फैसला दे सकती है। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि यदि शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई नहीं करेगा तो अपील बेमानी हो जाएगी क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट 24 सितंबर को इस मुद्दे पर फैसला सुनाएगा। जवाब में न्यायमूर्ति कबीर ने कहा माफ कीजिए मैं सुनवाई तय नहीं कर सकता।

मध्यस्थता की अनुमति को समय देने की मांग
सर्वोच्च अदालत में दायर अपील में मध्यस्थता की अनुमति के लिए थोड़ा समय देने की मांग की है। इसके अलावा आवेदक पर लगाए गए जुर्माने को भी चुनौती दी गई है। त्रिपाठी ने इसके पहले फैसला टालने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में आवेदन दाखिल किया था। लेकिन पांच दिन पहले हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 60 साल पुराने श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक के विवाद का समाधान तलाश करने के लिए मध्यस्थता की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही त्रिपाठी के आवेदन को शरारतपूर्ण और बाधा डालने का प्रयास कहते हुए उन पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया था। हाईकोर्ट में दायर याचिका में त्रिपाठी ने कहा था कि 24 सितंबर को आने वाले फैसले से सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंच सकता है और देश में हिंसा हो सकती है। त्रिपाठी ने फैसले को टाले जाने की याचिका में मीडिया में आ रही उन खबरों के आधार पर दायर की है। जिनमें कहा गया था कि इस फैसले से सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है और हिंसा हो सकती है।

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